Friday, January 5, 2018

सना-ए मक्की

सना-ए मक्की एक पौधे की पत्तियां हैं जो दवाओं में प्रयोग की जाती हैं. 
इसके लिए रेगिस्तानी भूमि और शुष्क वातावरण की ज़रुरत होती है. दवाओं में सऊदी अरब के मक्का शहर में पैदा होने की वजह से सना की अच्छी क्वालिटी मक्का की सना या सना-ए मक्की कहलाती है और यही दवाओं में प्रयोग होती है. 

देसी तौर पर सना को भारत में भी उगाया जाता है और दवाओं में इस्तेमाल किया जाता है.सना की पत्तियां ही दवा में इस्तेमाल की जाती हैं. इसकी पत्तियां मेहँदी  की  पत्तियों से मिलती जुलती लेकिन मेहँदी  की पत्तियों से बड़ी होती हैं. सना कब्ज़ दूर करती है. इसका इस्तेमाल रेचक के रूप  में किया जाता है. सना पेट के रोगों के लिए बने चूर्ण में डाली जाती है.सना आयु को बढाती है. शरीर पर झुर्रियां नहीं पड़ने देती. इसकी पत्तियों के प्रयोग से पहले इसकी डंडियां, बीज वाली फलियां आदि निकल देना चाहिए सना की पत्तियों के डंठल पेट में मरोड़ और दर्द पैदा करते हैं.सना पेट की गैस में लाभ करती है. सना का इस्तेमाल एक अकेली दवा के रूप में नहीं किया जाता. इसके साथ बराबर मात्रा में सौंफ मिलकर इस्तेमाल की जाती है. अकेली सना पेट में दर्द पैदा कर सकती है.इस हर्ब की अजीब बात है की सना की केवल ढाई पत्तियां थोड़े पानी में पकाकर काढ़े की तरह रात को पीने से कब्ज़ दूर हो जाता है. कुछ हाकिम सना को सर्दियों में सोंठ के साथ और गर्मी के मौसम में सौंफ के साथ प्रयोग करते हैं. 


Saturday, December 30, 2017

हिना

हिना और मेहंदी के नाम से एक झाड़ीदार पौधा सौंदर्य वर्धक साधन के रूप में प्रयोग होता है. मेहंदी की बाढ़ बागों के किनारे लगायी जाती है. यह कम पानी में भी फूलता फलता है. इसलिए रेगिस्तान के इलाके में और उन जगहों पर जहाँ पानी की कमी हो मेहंदी आसानी से हो जाती है.
इसकी पत्तियां श्रंगार के लिए बालों और हाथों को रंगने में प्रयोग की जाती हैं. मेहंदी एक प्राकृतिक हेयर कंडीशनर है. हिना के नाम पर हर्बल हेयर कलर मार्किट में बहुत बिक रहे हैं. इनमे हिना से ज़्यादा नकली रंग पड़ा होता है.
हिना का स्वाभाव ठंडा है. इसका प्रयोग स्किन की बिमारियों ठीक करता है. स्किन के दाग धब्बे, जलन खुजली में हिना का प्रयोग लाभदायक है. नीम की पत्तियों के साथ मिलकर हिना की पत्तियां बिना कुचले या पीसे रात को पानी में  भिगोकर सुबह वह पानी पीने से स्किन के रोग दूर होते हैं.
नील के पौधे की पत्तियां और हिना की पत्तियां बराबर मात्रा में पीसकर बालों पर लगाने से नेचुरल काला भूरा रंग आता है. पुराने समय में नील और हिना को ही बालों को रंगने में प्रयोग किया जाता था.

Friday, December 30, 2016

ऑनियन

ऑनियन या प्याज़ रोज़ इस्तेमाल होने वाली सब्ज़ी है. लेकिन इसके औषधीय गुणों से काम लोग परिचित हैं. ये कई वैराइटी का होता है. लाल, गोल्डन और सफ़ेद रंग में पाया जाता है.
ये एक गुणकारी दवा है. स्वाभाव से गर्म होता है. प्याज़ को आग पर गर्म करके फोड़ों पर बंधने से फोड़ों को पका  देता है जिससे पलौड़ा फूटकर पस बहने में मदद मिलती है. देहातों में कहावत थी की जिसने बरसात के मौसम में पांच सेर प्याज़ और पांच सेर गुड़ खालिया उसने पांच भैंसों का मक्खन खाने के बराबर शक्ति प्राप्त करली.
दो मीडियम साइज़ के प्याज़ को कुचलकर पानी निकल लिया जाए और उसमें दो चमच शहद मिलकर हलकी आंच पर इतना पकाया जाए कि प्लीज़ का पानी जलकर केवल शहद बाकी रहे, इसके सेवन से शक्ति में अभूतपूर्व वृद्धि होती है.

प्याज़ खून को पतला करता है. गर्मी की मौसम में इसका सेवन लू से बचाता  है. प्याज़ का रस और कपूर के सेवन से कालरा नहीं होता.
प्याज़ बाल बढ़ाने और उगाने में लाभकारी है. बालखोरे पर कच्ची प्याज़ लगाने से बालखोर ठीक हो जाता है और फिरसे बाल  निकल आते हैं.
प्याज़ को काटकर धूप  में सुखा लिया जाए और फिर इसे पाउडर बना दिया जाए. प्याज़ का पाउडर, अश्वगंधा का पाउडर, शतावरी का पाउडर बराबर मात्रा में मिलाकर इस दावा का एक चमच सुबह और एक चमच शाम दूध के साथ प्रयोग करने से टॉनिक का कार्य करता है और बीमारीयों से बचाता  है.



Wednesday, December 28, 2016

भंगरा

भंगरा, भृंगराज, एक बहु चर्चित पौधा है. ये काला और सफ़ेद दो प्रकार का पाया जाता है. काले पौधे की शाखें काली होती हैं. इसका फूल सफ़ेद कुछ कालिमा लिए हुए होता है. बालों को बढ़ाने, लंबा और घना करने में इसका बहुत नाम है. आयुर्वेद में माह भृंगराज तैल बालों को बढ़ाने के लिए बहुत उपयोगी माना जाता है.
भंगरा एक जड़ी बूटी के रूप में खाली पड़ी जगहों पर घास फूस के दरम्यान उगता है. इसे पानी और नमी के ज़्यादा आवश्यकता होती है. इसलिए इसके पौधे नालियों के किनारे, ऐसे स्थानों पर जहाँ नमी रहती हो पाये जाते हैं.

इसके फूल छोटे छोटे सफ़ेद होते हैं. फूल सूख जानेपर इसके बारीक बीज गिर जाते हैं. इसके पौधे बरसात में आसानी से उगते हैं. वैसे ये साल भर मिल सकता है लेकिन जाड़ों में कमी के साथ पाया जाता है.
जहाँ से बाल उड़ गए हों और चिकने स्थान रह गए हों वहां पर इसके पत्तों को प्याज़ के साथ पीसकर लगाने से बाल दुबारा उग आते हैं. इसकी यही एक अजीब बात बहुत काम की है.
भंगरा, आमला, जटामांसी, करि पत्ता और मेंहदी की पत्तियों के पाउडर को तेल में पकाकर उस तेल को छान कर बालों में लगाने से बाल बढ़ते और घने होते हैं.
यदि आप ढूंढेंगे तो भृंगराज का पौधा आप के आस पास ही मिल सकता है. इसके लिए महंगे प्रोडक्ट खरीदने की ज़रुरत नहीं है.

Wednesday, October 12, 2016

हिबिस्कस मुटाबिलिस

 हिबिस्कस मुटाबिलिस सुन्दर सफ़ेद, गुलाबी और लाल रंग के बड़े बड़े गुलाब जैसे फूलों से पहचाना जाता है. इसके फूल रंग बदलते हैं. यही इसकी अजीब बात है. ये चीन का पौधा है और अब पूरी दुनिया में फैल चूका है. इसके पौधे का नाम अमेरिका की देन है.


ये अमरीका की कॉन्फेडरेट स्टेट में बहुतायत से पाया जाता था. ये राज्य वे थे जो गुलाम थे और इन सात राज्यों ने मिलकर एक  कन्फेडरेशन बनाया था. ये सात गुलाम राज्य थे - साउथ  कारोलिना, मिसिसिपी, अलबामा, फ्लोरिडा, जार्जिया, लौसियाना और और टेक्सास. इन राज्यों ने नवम्बर 1860 में अमरीका से अलग होने की घोषणा की. इन राज्यो में काटन की खेती बहुतायत से होती थी. इस पौधे का नाम वहां से कन्फेडरेट गुलाब, और कॉटन गुलाब पड़ गया. ये हिबिस्कस फॅमिली का पौधा है.

इसका फूल सफ़ेद  रंग में खिलता है. दोपहर तक गुलाबी रंग बदलता है और शाम तक लाल हो जाता है.

 एक ही पौधे में दो तीन तरह के फूल दिखाई देते हैं. इसके फूल आखिर सितम्बर में खिलने शुरू हो जाते हैं. इसके फूलों का खिलना जाड़ों के आने का संकेत देता है. ये पांच से पंद्रह फुट की ऊंचाई तक बढ़ सकता है. इसकी डालियाँ कमज़ोर होती हैं. फूल खिलने के बाद इसके गोल गोल बीज लगते हैं जो कवर में बंद होते हैं. इन बीजों से नये पौधे उगते हैं.ये कटिंग  से भी लगाया जा सकता है. इसके फूलों की चाय  का इस्तेमाल खांसी और बलगम निकलने में किया जाता है. दवाई के रूप में अभी इसका ज़्यादा प्रचलन नहीं है. ये एक सुन्दर और फूलों का रंग बदलने के कारण अजीब पौधा है. बगीचों की सुंदरता बढ़ता है.

Friday, September 2, 2016

गुड़हल का फूल

गुड़हल  का पौधा बागों और घरों में खूबसूरती के लिए लगाया जाता है. ये हिबिसकस या चाइना रोज़ के नाम से भी जाना जाता है. इसके फूल जो आम तौर से पाए जाते हैं लाल रंग के  होते हैं. वैसे हिबिस्कस कई रंगों में पाया जाता है. इसके फूल के भी कई वैराइटी होती हैं. सिंगल पांच पंखुड़ी का फूल, और बहुत से पंखुड़ियों वाला फूल जो गुलाब के फूल जैसा दिखाई देता है.
हिबिस्कस का स्वाभाव ठंडा और तर है. इसके फूल और पत्तों में लेसदार चिपचिपा पदार्थ पाया जाता है. इसका फूल खाने में फीका और चिपचिपा होता है. गर्मी जनित रोगों और उच्च रक्तचाप में इसका फूल सेवन करने से लाभ होता है.
इसका फूल स्त्रियों के प्रदर दोष में फ़ायदा करता है. बालों में पीस कर और अंडे के साथ मिला कर लगाने से बाल मज़बूत होते हैं.
मेंहदी के साथ पीस कर सर में लगाने से न केवल बालों के खुश्की / रूसी को दूर करता है, बल्कि मेंहदी का रंग भी अच्छा आता है.

बालों को असमय सफ़ेद होने से बचाने के लिए हिबिस्कस के फूल और पत्ते बराबर मात्रा में तिल के तेल में कुचलकर दाल दें उन्हें  बारह घंटे भीगा रहने दें. फिर तेल को हलकी आंच पर पकाएं अब तेल को ठंडा होने दें. छानकर फूल पत्तियां निकाल दें और तेल को इस्तेमाल करें. इसका नियमित इस्तेमाल बालों को काला रखता है.
गर्मी में इसका शरबत भी बनाकर पी सकते हैं. इसके लिए हिबिस्कस के चार पांच फूल एक कांच के बर्तन में पानी में भिगो दें और उसमें एक नीबू का रास निचोड़ दें. ये काम सुबह करलें और पांच - छ घंटे बाद देखेंगे की हिबिस्कस का रंग पानी में आ गया है. चीनी मिलाकर  शरबत बनाकर पे सकते हैं. ये शरबत गर्मी में बहुत फ़ायदा करता हैं और बहुत से बाज़ारी शर्बतों से बेहतर है.
लाल हिबिस्कस एक बहु उपयोगी पौधा है. ये ने केवल सुन्दर लगता है. इसमें सुन्दर गुण भी हैं.

Thursday, September 1, 2016

डंडा थूहड़

थूहड़ की बाढ़ बाग़ बगीचों के किनारे लाएगी जाती है जिससे बाग़ में कोई प्रवेश न कर सके. इसे अंग्रेजी में  common milk hedge भी कहते हैं.  इसका नाम सेंहुड़ और  डंडा थूहड़ भी है. ये आम तौर से पाया जाने वाला पौधा है.  इसका तना  बेलनाकार और पत्ते लम्बे, आगे से गोलाई लिए चमच के आकर के होते हैं. ये कैक्टस के पौधों की वैराइटी का है. इसमें दूध या लैटेक्स पाया जाता है. काम पानी में भी बाकी  रह सकता है. ये एक बहुत उपयोगी पौधा है.
वर्षों से लोग इसके दूध को रेचक के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं. दूध में कब्ज़ को दूर करने का गुण है. इसका  दो से पांच बूँद दूध भुने चने के पाउडर में मिला कर गोली सी बना कर खाने से कब्ज़ दूर हो जाता है. दूध के प्रयोग के अन्य तरीके भी हैं. लेकिन कभी भी इसका ताज़ा दूध सीधे ज़बान पर नहीं डालना चाहिए. तेज़ स्वाभाव के कारण ये दाने और छाले पैदा कर सकता है. दूध त्वचा पर लग जाने से त्वचा पर घाव हो सकते हैं, लाल पड़ जाती है, दाने निकल आते हैं.

दूध का प्रयोग तेल में मिला कर और उस तेल को पाक कर और छान कर एक्ज़िमा त्वचा पर दाद, सोराइसिस पर लगाने में करते हैं. इससे त्वचा के रोग ठीक हो जाते हैं.
कान के दर्द में इसके पत्तों  को आग पर गर्म करके, जब पत्ते कुम्हला जाते हैं और मुलायम पद जाते हैं, उनका पानी या रास निचोड़ कर दो तीन बूँद कान में डालने से आराम होता है.
कच्चे फोड़ों को पकाने के लिए इसका पत्ता सरसों का तेल लगाकर, आग पर गर्म करके फोड़े पर बाँधने से फोड़े पाक कर फूट जाता है.
जाड़ों में एड़ियां फट  जाने पर  जब उनमें क्रैक पड़ जाते हैं. थोहड़ के गूदे /सैप को सरसों के तेल में पकाकर, और गूदे को तेल में अच्छी तरह मिक्स करके लगाने से लाभ होता है.